Raigarh में फिर एक नया औद्योगिक घोटाला? बीपीए मेटालिक्स की फैक्ट्री स्थापना पर उठे सवाल, हाईकोर्ट में जाएगी याचिका

Raigarh : औद्योगिक नगरी के रूप में विख्यात रायगढ़ जिला एक बार फिर पर्यावरण और रोजगार के मसले को लेकर सुर्खियों में है। जहां एक ओर जिले में सैकड़ों कल-कारखानों और खदानों की भरमार है, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार का लाभ अपेक्षाकृत कम मिला है। इसके उलट, पर्यावरण की स्थिति और अधिक भयावह होती जा रही है।

इस समय चर्चा का केंद्र बना है कोटमार-पतरापाली में स्थापित होने जा रहा बीपीए मेटालिक्स प्राइवेट लिमिटेड का विशाल औद्योगिक प्लांट, जिसकी स्थापना को लेकर तमाम प्रक्रियाएं गुपचुप तरीके से पूरी की गई हैं।

भूमि आवंटन पर उठे सवाल

यह उद्योग वीजा स्टील एंड पावर को आवंटित भूखंड पर स्थापित हो रहा है, जिसे कथित रूप से सीएसआईडीसी रायपुर द्वारा महज कुछ लाख रुपये में 99 साल की लीज पर बीपीए मेटालिक्स को सौंप दिया गया। इस प्रक्रिया को लेकर जनहित में याचिका दाखिल करने की तैयारी की जा रही है।

पर्यावरणविद बजरंग अग्रवाल ने आरोप लगाया कि यह भूखंड 151.756 एकड़ में फैला हुआ है और इसकी आवंटन प्रक्रिया गैरकानूनी रूप से हुई है। उनका दावा है कि उद्योगपतियों ने “शाम, दाम, दंड, भेद” की नीति अपनाकर इस फैक्ट्री की नींव रखी है।

प्रदूषण और जल संकट की आशंका

बजरंग अग्रवाल ने चेतावनी दी कि इस फैक्ट्री के चलते पतरापाली-कोटमार क्षेत्र में भूजल स्तर गंभीर रूप से प्रभावित होगा। इस फैक्ट्री में प्रतिदिन 5 लाख 10 हजार लीटर पानी की खपत होगी, जबकि रिपोर्ट में पानी के स्रोत का कोई उल्लेख नहीं है, जिससे साफ जाहिर होता है कि भूजल का जबरदस्त दोहन होगा।

आईआईटी की रिपोर्ट भी नजरअंदाज

आईआईटी खड़गपुर और भिलाई द्वारा पांच वर्ष पूर्व जारी केयरिंग कैपेसिटी रिपोर्ट में रायगढ़, तमनार और घरघोड़ा को “रेड जोन” घोषित किया गया था, जिसमें साफ कहा गया था कि इन क्षेत्रों में और उद्योग नहीं लगाए जाने चाहिए। बावजूद इसके, बीते 5 सालों में कई नए उद्योगों को अनुमति दी गई।

बीपीए मेटालिक्स फैक्ट्री में प्रस्तावित उत्पादन

  • स्पंज आयरन: 7,17,500 टन/वर्ष
  • आयरन ओर बेनिफिकेशन: 10 लाख टन/वर्ष
  • पेलेट प्लांट: 6 लाख टन/वर्ष
  • एमएस बिलेट: 6,12,500 टन/वर्ष
  • रिरोल्ड स्टील: 5,82,000 टन/वर्ष
  • एमएस पाइप: 3 लाख टन/वर्ष
  • कोल वाशरी: 10 लाख टन/वर्ष

न्यायिक हस्तक्षेप की तैयारी

इन तमाम बिंदुओं को लेकर पर्यावरण मित्र संस्था द्वारा छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने की तैयारी की जा रही है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि शासन-प्रशासन उद्योगपतियों से लाभ लेकर पर्यावरण को नजरअंदाज कर रहा है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ेगा।

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