कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद अब पुलिस अपने स्तर पर आरोपी से गहन पूछताछ करेगी. फिर उसे अपोलो अस्पताल ले जाकर कागजात और कार्यकाल की जांच भी करेगी।
Bilaspur News: डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य ने वर्ष 2006 में कार्डियोलॉजिस्ट की फर्जी डिग्री के आधार पर अपोलो अस्पताल, बिलासपुर में खुद को हार्ट स्पेशलिस्ट बताकर नौकरी हासिल की थी। उसी दौरान पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पं. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल का इलाज वि आपरेशन डॉक्टर केम ने किया था। आपरेशन के कुछ घंटों बाद उनकी मृत्यु हो गई थी। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर की लापरवाही और अपात्रता के चलते यह मौत हुई थी। हाल ही में पं. शुक्ल के पुत्र डॉ प्रदीप शुक्ल ने सरकंडा थाना पहुंचकर अपोलो अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर नरेंद्र के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। आरोप लगाया कि अपोलो प्रबंधन ने डॉक्टर की योग्यता वि डिग्री की बिना जांच किए उसे भर्ती किया, लापरवाही के चलते एक वरिष्ठ जनप्रतिनिधि की जान चली गई। उन्होंने पूरे मामले में निष्पक्ष और कठोर कार्रवाई की मांग की है।
इस मामले में नया मोड़ तब आया जब दमोह के मिशन अस्पताल में डॉक्टर नरेंद्र की पोल खुली। वह वहां भी खुद को हार्ट स्पेशलिस्ट बताकर कार्यरत था। एनजीओ के माध्यम से प्लास्टिक और एंजियोग्राफी जैसे संवेदनशील इलाज कर रहा था, जिनमें करीब आठ मरीजों की मौत हो गई। इसके बाद मामले की जांच हुई तो सामने आया कि उसके पास जो मेडिकल डिग्री है, वह फर्जी है। दमोह पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया और बिलासपुर पुलिस को सौंपा।
अपोलो प्रबंधन की भूमिका की होगी जांच
Bilaspur News: पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की मौत के मामले में अब अपोलो प्रबंधन घिरता नजर आ रहा है। अपोलो प्रबंधन ने किस आधार पर फर्जी डॉक्टर को नियुक्ति दी, इसकी जांच की जाएगी। जांच में प्रबंधन की लापरवाही सामने आने पर पुलिस की ओर से कड़ी कार्रवाई की बात कही जा रही है।