पुरुषों से तीन गुना ज्यादा मेहनतकश निकलीं छत्तीसगढ़ की महिलाएं, रोज़गार की जंग में बनीं मिसाल

रायपुर। छत्तीसगढ़ की महिलाएं आज श्रम और संघर्ष की मिसाल बन चुकी हैं। पत्थर तोड़ने से लेकर मकान बनाने और कुएं खोदने तक—जिन कामों को अक्सर पुरुष प्रधान माना जाता है, वहां महिलाएं न केवल मौजूद हैं बल्कि पुरुषों से तीन गुना ज्यादा संख्या में सक्रिय हैं।
राज्य सरकार द्वारा भवन और अन्य सन्निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों के लिए बनाए गए कर्मकार कल्याण मंडल में दर्ज आंकड़ों से यह बात सामने आई है कि मेहनतकश महिलाओं की संख्या राज्य में पुरुषों से कहीं अधिक है।
महिलाएं आगे, पुरुष पीछे
1 जनवरी 2024 से 31 दिसंबर 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार, मंडल में पंजीकृत महिला श्रमिकों की संख्या 3,13,688 रही, जबकि पुरुष श्रमिकों की संख्या केवल 1,04,533 है। यही नहीं, अगर राज्य के सभी जिलों में पंजीकृत महिला श्रमिकों की कुल संख्या देखी जाए तो यह 19,25,877 तक पहुंचती है, जबकि पुरुष श्रमिकों की संख्या 8,71,017 है।
इन जिलों में सबसे अधिक महिला श्रमिक
- रायपुर: 36,429
- धमतरी: 23,000+
- बिलासपुर: लगभग 23,000
- राजनांदगांव: 22,687
- दुर्ग: 19,378
- महासमुंद: 16,823
- बालोद: 15,000
- कांकेर: लगभग 14,000
- कवर्धा: 13,500
- जांजगीर-चांपा: लगभग 13,000
मेहनत रंग नहीं ला रही!
श्रम दिवस के मौके पर इन महिलाओं की मेहनत की तस्वीरें भले ही सामने आती हैं, लेकिन उनके जीवन की सच्चाई आज भी नहीं बदली है। रोज़ी-रोटी की जद्दोजहद में जुटी ये महिलाएं अपने घर-परिवार की जिम्मेदारियों के साथ-साथ श्रम के क्षेत्र में भी पुरुषों से आगे निकल चुकी हैं, लेकिन उनके जीवन की गुणवत्ता में अब भी सुधार की दरकार है।