Bilaspur से जुड़े हैं दमोह हार्ट सर्जरी कांड के तार, फर्जी डॉक्टर नरेंद्र पर अब नए खुलासे

Bilaspur। दमोह के मिशन अस्पताल में हार्ट सर्जरी के बाद सात मरीजों की मौत के मामले में चौंकाने वाला मोड़ आया है। इस सनसनीखेज प्रकरण के तार Bilaspur के अपोलो अस्पताल से जुड़ते नजर आ रहे हैं। खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताने वाले फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम पर आरोप है कि उनकी लापरवाही से अपोलो अस्पताल में भी करीब 7–8 मरीजों की मौत हो चुकी है, जिनमें छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेंद्र प्रसाद शुक्ल भी शामिल हैं।
2006 में अपोलो अस्पताल में हुई थी राजेंद्र शुक्ल की मौत
करीब 32 वर्षों तक विधायक रहे राजेंद्र शुक्ल को 20 अगस्त 2006 को तबीयत बिगड़ने पर अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां ऑपरेशन के दौरान उनकी मौत हो गई थी। परिजनों का दावा है कि ऑपरेशन कथित डॉक्टर नरेंद्र ने ही किया था।
अब जब दमोह की घटना सामने आई है, प्रोफेसर प्रदीप शुक्ल (राजेंद्र शुक्ल के पुत्र) ने भी मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने बताया कि नरेंद्र केवल 2–3 महीने के लिए अपोलो आया था और इस दौरान 8 से 10 मरीजों की मौत हो गई थी। मामला बढ़ने पर आईएमए के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. वायएस दुबे की जांच में यह सामने आया कि नरेंद्र के दस्तावेज फर्जी हैं।
फर्जी डिग्रियों का खुलासा
नरेंद्र का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है और वह देहरादून का रहने वाला है। उसने अपने दस्तावेजों में नाम नरेंद्र जॉन केम लिखा है। जांच में पता चला कि 2006 में उसके पास केवल एमबीबीएस की डिग्री थी, जो आंध्र प्रदेश मेडिकल कॉलेज से बताई गई है। उसका रजिस्ट्रेशन नंबर 153427 है। लेकिन जो डिग्रियां उसने कार्डियोलॉजिस्ट बनने के लिए पेश की थीं—जैसे कलकत्ता, दार्जिलिंग और यूके से बताई गई एमडी डिग्रियां—उनमें से किसी का रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं मिला है।
अपोलो अस्पताल ने शुरू की पुराने रिकॉर्ड्स की जांच
इस पूरे मामले के सामने आने के बाद अब अपोलो हॉस्पिटल प्रबंधन भी हरकत में आ गया है और 17–18 साल पुराने दस्तावेज खंगालने में जुट गया है। संभावना है कि आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।