छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम ने पुस्तक घोटाले के बाद उठाए सख्त कदम, QR कोड से होगी ट्रैकिंग

रायपुर। छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम ने पुस्तक घोटाले के बाद गड़बड़ी रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। आगामी सत्र से पुस्तकों की बिक्री और वितरण प्रक्रिया में बड़े बदलाव किए जाएंगे। अब पुस्तकों को सरकारी संपत्ति घोषित किया गया है, जिसे न तो बेचा जा सकेगा और न ही खरीदा जा सकेगा। इस नियम का उल्लंघन करने वाले खरीदार और विक्रेता दोनों को दोषी माना जाएगा। साथ ही, पुस्तकों में लगे QR कोड से उनकी पूरी जानकारी ट्रैक की जा सकेगी।
छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के जनरल मैनेजर डीकेश पटेल ने बताया कि पुस्तक घोटाले और उनकी अवैध बिक्री को रोकने के लिए नियमों में बदलाव किए गए हैं। अब पुस्तकों में लगे QR कोड को स्कैन करते ही यह पता चल जाएगा कि पुस्तक किस संभाग या संकुल के लिए भेजी गई थी, उसका नंबर क्या है और यह कहां से संबंधित है। इससे पुस्तकों की ट्रैकिंग आसान हो जाएगी।
पहले पुस्तकों को कबाड़ियों द्वारा आसानी से खरीद लिया जाता था, लेकिन अब पुस्तकों पर स्पष्ट रूप से लिखा जाएगा कि यह सरकारी संपत्ति है और इसे न तो बेचा जा सकता है और न ही खरीदा जा सकता है। इस नियम का उल्लंघन करने पर खरीदार और विक्रेता दोनों पर कार्रवाई की जाएगी।
QR कोड से मिलेगी पूरी जानकारी
पहले पाठ्यपुस्तकों में लगे QR कोड को स्कैन करने पर केवल पुस्तक की डिजिटल जानकारी मिलती थी, लेकिन अब इसे स्कैन करने पर पुस्तक का पूरा विवरण प्राप्त होगा। इसमें पुस्तक का नंबर, संभाग, संकुल और अन्य जानकारियां शामिल होंगी। इससे पुस्तकों की गतिविधियों पर नजर रखना आसान हो जाएगा।
आगामी सत्र से लागू होंगे नए नियम
आगामी सत्र में वितरित होने वाली पुस्तकों में यह व्यवस्था लागू की जाएगी। पाठ्यपुस्तक निगम ने इसके लिए रणनीति बनाकर काम शुरू कर दिया है और पुस्तकों की प्रिंटिंग जारी है।
कक्षा 1 से 10 तक निःशुल्क पुस्तकें
छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा के अधिकार को ध्यान में रखते हुए कक्षा 1 से 10 तक के विद्यार्थियों को निःशुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। प्रदेश के लगभग 55,000 सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 56 लाख विद्यार्थियों को यह सुविधा प्रदान की जाती है।
पिछले सत्र में हुई थी लाखों पुस्तकों की अवैध बिक्री
पिछले सत्र में गरीब बच्चों के लिए जारी की गई लाखों पुस्तकों को कबाड़ियों को बेच दिया गया था। इस मामले पर जमकर हंगामा हुआ था और मुख्यमंत्री के निर्देश पर कई अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित किया गया था। मामले की जांच के लिए गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है और दोषी लोगों को नोटिस जारी किया गया है।