One Nation-One Election Bill: वो घड़ी आ गई! आज संसद में पेश होगा ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल, जानिए हर सवाल का जवाब

One Nation-One Election Bill in Loksabha: वन नेशन वन इलेक्शन बिल को मंगलवार दोपहर लोकसभा में पेश किया जाएगा। सरकार से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी है। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन बिल पेश करेंगे। पहले इस बिल को 16 दिसंबर को पेश किया जाना था

One Nation-One Election Bill in Loksabha: सूत्रों के अनुसार सरकार बिल पेश करने के बाद इस पर आम सहमति बनाने के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेज सकती है।

One Nation-One Election Bill in Loksabha: वन नेशन वन इलेक्शन बिल को मंगलवार दोपहर लोकसभा में पेश किया जाएगा। सरकार से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी है। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन बिल पेश करेंगे। पहले इस बिल को 16 दिसंबर को पेश किया जाना था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। बीजेपी ने अपने सभी लोकसभा सांसदों को एक व्हिप जारी किया है और सदन में मौजूद रहने को कहा है।

अर्जुन राम मेघवाल पेश करेंगे बिल
20 दिसंबर को संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त हो रहा है। सूत्रों के अनुसार सरकार बिल पेश करने के बाद इस पर आम सहमति बनाने के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेज सकती है। केंद्रीय कानून मंत्री मंगलवार को लोकसभा में संविधान विधायक (129वां संशोधन) और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक पेश करेंगे।

केंद्रीय मंत्रिमंडल दे चुका है मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते गुरुवार को दो बिल पेश करने को मंजूरी दे दी। इसमें एक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल एक साथ करने के लिए और दूसरा दिल्ली और अन्य केंद्र शासित प्रदेश विधानसभाओं के लिए समान संशोधन करने के लिए था।

दो चरणों में होंगे देश में चुनाव
मोदी सरकार ने 2023 में यह सुझाव देने के लिए रामनाथ कोविंद समिति गठित की थी कि लोकसभा, विधानसभाओं और नगर पालिकाओं के चुनाव एक साथ कैसे कराए जा सकते हैं। रामनाथ कोविंद समिति ने मार्च में अपनी रिपोर्ट में एक संभावित रोडमैप का सुझाव दिया था। पहले चरण में, लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। दूसरे चरण के तहत निकाय तथा पंचायत चुनाव, लोकसभा तथा विधानसभाओं चुनाव होने के बाद 100 दिन के भीतर कराए जाएं।

इन संवैधानिक संशोधनों की होगी आवश्यकता
कोविंद समिति ने अनुच्छेद 83 में संशोधन की सिफारिश की है जो लोकसभा की अवधि से संबंधित है और अनुच्छेद 172 जो राज्य विधानसभा की अवधि से संबंधित है। यदि संशोधन संसदीय समर्थन प्राप्त करने में विफल रहते हैं, तो अधिसूचना अमान्य हो जाएगी। यदि संशोधनों को अपनाया जाता है, तो एक साथ चुनाव एक वास्तविकता बन जाएंगे।

अगर सरकार बीच में गिर जाए तो क्या होगा?
एक बार ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ वास्तविकता बन जाए (उदाहरण के लिए 2029 में) तो सदन में बहुमत खोने के कारण लोकसभा या राज्य विधानसभा अपने पांच साल के कार्यकाल से पहले भंग हो जाती है। इसके लिए समिति ने प्रस्ताव दिया है कि नए सिरे से चुनाव कराए जाएं। ये मध्यावधि चुनाव होंगे और नई सरकार लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल के शेष समय तक ही टिकेगी। यानी 2029 से ही पूरी प्रक्रिया शुरू होगी। यदि मोदी सरकार 2034 में इस प्रक्रिया को शुरू करने का निर्णय लेती है, तो कोविंद समिति के अनुसार अगली लोकसभा की पहली बैठक के दिन एक अधिसूचना जारी करेंगे।

प्रस्ताव का कितने दलों ने समर्थन या विरोध किया?
इस मामले पर अपनी राय देने वाले 47 दलों में से 32 ने इस विचार का समर्थन किया और 15 ने इसका विरोध किया। एनडीए की सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी, जिसने पैनल को अपनी राय नहीं दी, उसने बताया कि वह सैद्धांतिक रूप से इस कदम का समर्थन करती है। इस कदम का विरोध करने वाले 15 में से पांच एनडीए के बाहर के दल हैं जो राज्यों में सत्ता में हैं, जिनमें कांग्रेस भी शामिल है।

NDA के पास लोकसभा में कितना नंबर?
लोकसभा चुनाव के बाद जिन पार्टियों ने कोविंद पैनल के सामने एक साथ चुनाव का समर्थन किया था, उनके लोकसभा में 271 सांसद हैं। इसमें भाजपा के 240 है। जो लोकसभा में साधारण बहुमत से केवल एक कम है। सरकार को बिल पास कराने के लिए 362 वोट या दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी। लेकिन अगर 439 सदस्य ही वोटिंग के दिन उपस्थित हों और मतदान करें, तो विधेयक को पास कराने के लिए 293 वोटों की आवश्यकता होगी।

राज्यसभा में क्या स्थिति?
राज्यसभा में एनडीए के पास 113 सांसद हैं और छह नॉमिनेटेड सांसदों और दो निर्दलीय सदस्यों के साथ एनडीए गठबंधन के पास 121 सांसद हैं। इंडिया ब्लॉक में 85 सांसद हैं। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, बीजू जनता दल और भारत राष्ट्र समिति के पास 19 सांसद हैं। उनके अलावा राज्यसभा में एआईएडीएमके के चार सांसद हैं और बसपा का एक है और दोनों का झुकाव इंडिया ब्लॉक की ओर नहीं है। वर्तमान में कुल मिलाकर 231 राज्यसभा सांसद हैं, और यदि उनमें से सभी उपस्थित हों और मतदान करें, तो संवैधानिक संशोधन के लिए आवश्यक नंबर 154 है।

कांग्रेस ने किया है बिल का विरोध
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर कांग्रेस ने कहा है, “हमारी मांग की है कि जो विधेयक आएगा, हम चाहेंगे, वो जेपीसी में भेजा जाए और ये कांग्रेस का विचार है। हम वन नेशन, वन इलेक्शन के खिलाफ हैं। ये लोकतंत्र के खिलाफ है, गैरसंवैधानिक है। ये लोकतंत्र को खत्म करने वाला विधेयक है और इसका हम विरोध करेंगे।”

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