रायपुर। लोक सेवा आयोग ने अंततः दस्तावेज सत्यापन को लेकर अपने पैटर्न में बदलाव किए हैं। लगातार निर्मित हो रही विवाद की स्थिति के बाद बुधवार पीएससी को ने डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए नई व्यवस्था की थी। मामला उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्राध्यापक भर्ती का है। प्राध्यापकों के 595 पदों पर पीएससी द्वारा भर्ती की जानी है। इसके लिए सर्वप्रथम 2 दिसंबर से दस्तावेज सत्यापन का शेड्यूल तय किया गया था। उस वक्त उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जो टीम जांच के लिए भेजी गई थी, वे विभिन्न आधार पर प्राध्यापक पद के उम्मीदवारों को मिलने वाले अंकों की गणना नहीं कर सकी थी। उस वक्त भी हंगामा हुआ था, जिसके पश्चात पीएससी ने दस्तावेज सत्यापन स्थगित कर दिया था।
10 दिसंबर से स्थगित दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया दोबारा शुरु की गई, लेकिन पुनः वही समस्या सामने आई तो पूर्व में दी गई तिथियों में आई थी। मंगलवार को हंगामे के बाद बुधवार को पीएससी ने अपना तरीका ही बदल दिया। पीएससी द्वारा सभी कैंडिडेट्स को एक फॉर्मेट दिया गया था, जिसमें उन्हें अपने शोध पत्र, पीएचडी, रिसर्च पेपर पब्लिकेशन सहित अन्य तरह की जानकारी प्रदान करनी थी। इसके आधार पर उनके अंक तय होंगे। मंगलवार तक कैंडिडेट्स को सम्मुख बैठाकर अंकों की गणना की जा रही थी, इसलिए विवाद की स्थिति निर्मित हो रही थी।
बढ़ाई गई पैनल संख्या
मंगलवार को पीएससी ने सिर्फ एक ही पैनल जांच के लिए रखी थी। एक पैनल में तीन सदस्य होते हैं। बुधवार को पैनल की संख्या बढ़कार तीन कर दी गई है। इसके बाद प्राध्यापक पद के उम्मीदवारों ने राहत की सांस ली। ये पैनल सभी आवेदनों के अंकों की गणना करने के पश्चात अंतिम सूची जारी करेगी। गौरतलब है कि उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्राध्यापकों के इन पदों पर भर्ती 2021 में निकाली गई थी। प्राध्यापकों के रिसर्च पेपर किस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं, इसके आधार पर उन्हें कम-ज्यादा अंक मिलते हैं। यूजीसी द्वारा इसके लिए मापंदड निर्धारित किए गए हैं।