CG आशा की रोशनी : शिवम और प्रेमजीत की अनकही कहानी

उम्मीद की एक किरण लेकर आई मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना

कोरिया : सोनहत विकासखंड के छोटे से गांव सलगवां में रहने वाले 75 वर्षीय प्रेमजीत की जिंदगी उस वक्त अंधकारमय हो गई, जब डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें स्किन कैंसर है। उनके बेटे बिहारी और पोते शिवम के लिए यह खबर किसी वज्रपात से कम नहीं थी। आर्थिक तंगी से जूझ रहा यह परिवार सोचने लगा कि इलाज की महंगी प्रक्रिया को कैसे पूरा किया जाएगा।

आयुष्मान कार्ड ने शुरुआती राहत दी, लेकिन जब डॉक्टरों ने बताया कि इलाज लंबा और खर्चीला होगा, तो उनकी चिंता बढ़ गई। यही वह वक्त था जब उम्मीद की एक किरण लेकर आई मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना। अस्पताल प्रबंधन ने योजना के तहत आवेदन कराया और जल्द ही इलाज के लिए 3 लाख 36 हजार रुपये स्वीकृत हो गए।

शिवम ने निभाया अपना फर्ज
शिवम ने अपने दादा के इलाज की पूरी जिम्मेदारी संभाल ली। वह अस्पताल में घूम-घूमकर अपने दादा को टेस्ट कराते, दवाइयों का प्रबंध करता और हर वक्त अपने दादा के पास मौजूद रहता।

संस्कार असली संपत्ति
प्रेमजीत की आंखों में अपने पोते के लिए गर्व और आभार था। उन्होंने कहा, ‘जिंदगी के इस मोड़ पर जब मैं टूट चुका था, शिवम ने मुझे संभाला।‘ उन्होंने एक दोहा सुनाते हुए कहा, ‘पूत कपूत तो क्यों धन संचय, पूत सपूत तो क्यों धन संचय। ‘‘धन नहीं, संस्कार असली संपत्ति है। मैंने संस्कारवान पोता कमाया है।

संजीवनी बनी सरकारी योजना
शिवम का कहना है, ‘अगर मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना न होती, तो हम अपने दादा का इलाज नहीं करवा पाते। यह योजना वास्तव में गरीबों के लिए वरदान है। मैं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ।‘

नई उम्मीद की शुरुआत
आज प्रेमजीत की तबीयत पहले से बेहतर है। उनके चेहरे पर संतोष और विश्वास झलकता है। शिवम के त्याग और मुख्यमंत्री की योजना ने न केवल प्रेमजीत को नया जीवन दिया, बल्कि यह दिखाया कि जब परिवार और सरकार दोनों साथ हों, तो बड़ी से बड़ी मुश्किल को पार किया जा सकता है। यह कहानी सिर्फ कैंसर से लड़ाई की नहीं, बल्कि परिवार, संस्कार और आशा की जीत की भी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

This will close in 20 seconds