‘सरकारी नौकरी छोड़े पत्नी और मेरे साथ रहे’… पति ने डाला दबाव, तो हाई कोर्ट पहुंची महिला, तलाक पर आया यह फैसला

इंदौर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने नौकरीपेशा महिला के मामले में अहम फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस वसुरेश कुमार कैत और जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी की खंडपीठ ने अपने एक फैसले में कहा है कि किसी कामकाजी महिला को उसकी मर्जी के बिना नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर करना क्रूरता है।

इसके साथ ही हाई कोर्ट ने महिला ने की तलाक की अर्जी स्वीकार कर ली। महिला ने पहले फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां तलाक की याचिका खारिज होने के बाद हाई कोर्ट का रुख किया।

केंद्र सरकार की नौकरी छोड़ने और भोपाल में साथ रहने को मजबूर कर रहा था पति

महिला की उम्र 33 वर्ष है जो केंद्र सरकार के एक उपक्रम में प्रबंंधक के पद पर सेवा दे रही हैं। शादी के बाद पति महिला को नौकरी छोड़ने और अपने साथ भोपाल में रहने के लिए मजबूर कर रहा था।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा, ‘पति या पत्नी साथ रहना चाहते हैं या नहीं, यह उनकी मर्जी पर निर्भर है। पति या पत्नी का नौकरी करना या नहीं, पूरी तरह से उसकी इच्छा पर निर्भर है।’

2014 में हुई थी शादी, साथ की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी

हाई कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार, दोनों की शादी 2014 में हुई थी और तभी दोनों प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भोपाल शिफ्ट हो गए थे। इसके बाद महिला को केंद्र सरकार के उपक्रम में नौकरी मिल गई।

इससे पति को आत्मसम्मान को ठेस पहुंची थी। इसके बाद से ही उसने पत्नी को परेशान करना शुरू कर दिया था।अब पति का कहना है कि जब तक उसकी नौकरी नहीं लग जाती, पत्नी को भी नौकरी छोड़कर उसके साथ भोपाल में रहना होगा।

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