भूखे रह जाएंगे 51 लाख पाकिस्तानी, गरीब अवाम की रोटी खा गए हुक्मरान, कंगाली के बीच सबसे भयावह चेतावनी
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में इस समय एक बड़ा आर्थिक संकट देखा जा रहा है, जिसके कारण लोगों के पास खाने के भी लाले हैं। रमजान के महीने में पाकिस्तान का हर आदमी अपना और अपने परिवार का पेट भरने की लड़ाई लड़ रहा है। पाकिस्तान के कराची में खाना घर किचन के बाहर लंबी-लंबी लाइनें देखने को मिल रही हैं। लोग यहां एक हाथ में अपने पहचान पत्र की फोटोकॉपी लेकर खड़े हैं। किचन को चलाने वाली परवीन सईद का कहना है, ‘रमजान के हर दिन हम लोग महीने भर का राशन दे रहे हैं, क्योंकि हमारा किचन बंद है। हम एक परिवार को एक बैग दे रहे हैं और इसके लिए हमें उनकी आईडी की जरूरत है।’
सईद 20 से अधिक वर्षों से कराची के सबसे गरीब इलाकों में किचन का संचालन कर रही हैं। उनका कहना है कि किचन कभी भी इतना ज्यादा व्यस्त नहीं था। लेकिन पाकिस्तान में संकटों के कारण एक बड़ी आबादी दान के राशन पर जीने को मजबूर है। पाकिस्तान में पेट्रोल और खाद्य का दाम यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से पहले ही बढ़ता जा रहा है। पिछले साल जहां आटा 58 पाकिस्तानी रुपए किग्रा था वो अब 155 रुपए पहुंच गया है। वहीं चावल का दाम दोगुना हो चुका है। पेट्रोल जो पिछले साल 145 रुपए प्रति लीटर था, उसका दाम 272 रुपए हो गया है।
पतन की ओर उद्योग
इस सप्ताह पाकिस्तान टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन ने चातावनी दी है कि उत्पादन में कटौती के कारण देश का कपड़ा उद्योग पतन की ओर बढ़ रहा है। कोरोना महामारी के बाद से इस क्षेत्र में लगभग 70 लाख लोग पहले ही अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। इस्पात उद्योग से जुड़े 70 लाख लोगों की नौकरियां भी खतरे में हैं, जहां लागत बढ़ने के कारण कारखाने बंद हो रहे हैं। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की भविष्यवाणी है कि अगले सप्ताह तक 51 लाख पाकिस्तानी गंभीर भूख का सामना करेंगे। यह पिछली तिमाही से 11 लाख की बढ़ोतरी है।
हर रोज बढ़ रही भूखे लोगों की संख्या
पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में खाद्य बैकों में इस क्राइसिस के कारण लंबी कतारें देखने को मिल रही है। 40 साल से ज्यादा समय तक मुफ्त भोजन देने वाले एधी फाउंडेशन का कहना है कि उनके यहां खाने वालों में बड़ी संख्या उन लोगों की है, जो दफ्तरों से एक अच्छा कपड़ा पहन कर आ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘ये लोग भिखारी नहीं हैं, वे बेसहारा हो गए हैं।’ कोरोना काल से पहले हर रोज यहां छह हजार लोगों को खाना खिलाया जाता था। लॉकडाउन में यह संख्या 7 हजार तक बढ़ गई। लेकिन पिछले 4 महीने में यह संख्या 8,200 तक पहुंच गई है।