1st Day of Navratri Vrat Katha 2025: पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा और व्रत कथा का महत्व

1st Day of Navratri Vrat Katha 2025 : हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है। मां शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना जाता है। देवी बैल पर सवार हैं और उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। उनका स्वरूप अत्यंत सौम्य और मनमोहक है।
मां शैलपुत्री की व्रत कथा
देवी भागवत पुराण के अनुसार, प्रजापति दक्ष ने एक बार एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन भगवान शिव और अपनी पुत्री सती को निमंत्रण नहीं भेजा। जब माता सती ने भगवान शिव से यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी, तो उन्होंने मना कर दिया। लेकिन सती अपने पिता के यज्ञ में स्वयं चली गईं।
यज्ञ स्थल पर पहुंचने के बाद जब उन्होंने अपने पति भगवान शिव का अपमान होते देखा तो वे अत्यंत क्रोधित हुईं और अपने शरीर को यज्ञ अग्नि में समर्पित कर दिया। इस घटना से भगवान शिव के गण वीरभद्र अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने दक्ष का संहार कर दिया।
इसके बाद देवी सती ने पर्वतराज हिमालय और उनकी पत्नी मैनावती के घर में माता पार्वती यानी शैलपुत्री के रूप में जन्म लिया। उन्होंने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को पुनः अपने पति के रूप में प्राप्त किया।
मां शैलपुत्री की कथा सुनने का महत्व
मां शैलपुत्री को स्थिरता और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। उनकी कथा सुनने और पूजा करने से मन को शांति मिलती है और जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से मां शैलपुत्री की आराधना करता है, उसे सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। इसके अलावा, मां की कथा पढ़ने से व्यक्ति की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं और भाग्योदय होता है।