Site icon khabriram

मनरेगा में 100 करोड़ का का घपला; ईडी ने मांगी रिपोर्ट, नपेंगे कई बड़े अधिकारी

नईदिल्ली। झारखंड सरकार ने मनरेगा की योजनाओं के लगभग 100 करोड़ की रकम की संदिग्ध निकासी की जांच शुरू कराई है. सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने सभी जिलों के उपायुक्तों से अवैध और संदिग्ध निकासी की रिपोर्ट मांगी है. प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि मनरेगा की योजनाओं के नाम पर प्राय: सभी जिलों में फर्जी खरीदारी की गई या फिर सामग्री की खरीदारी बेहद ऊंची दरों पर की गई. इन गड़बड़ियों में कई बड़े अफसरों की संलिप्तता हो सकती है. दो महीने पहले ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी.

मनरेगा की योजनाओं में गड़बड़ियों का यह मामला लगभग डेढ़ साल पहले राज्य की तत्कालीन ग्रामीण विकास सचिव आराधना पटनायक ने पकड़ा था. उन्होंने पाया था कि मार्च 2020 के अंतिम सप्ताह में बड़े पैमाने पर राशि की निकासी की गई.

अनुमानत: यह राशि 200 करोड़ के आसपास पाई गई थी. सचिव ने कहा था कि यह पूरी तरह से संदेहास्पद लग रहा है. उन्होंने इसकी उच्चस्तरीय जांच की भी अनुशंसा की थी. प्रथमदृष्टया यह पाया गया कि मनरेगा की योजनाओं में ईंट, स्टोन, पशु शेड इत्यादि के नाम पर फर्जी खरीदारी की गई है.

यह मामला प्रकाश में आने के बाद प्रवर्तन निदेशालय के सहायक निदेशक (इंटेलिजेंस) विनोद कुमार ने राज्य के ग्रामीण विकास विभाग को पत्र लिखकर इस बारे में विस्तृत जानकारी मांगी. ईडी ने इन मामलों में अब तक की गई एफआईआर, चार्जशीट, कार्रवाई इत्यादि पर रिपोर्ट देने को कहा है. ईडी ने यह भी कहा है कि इस स्कैम में उनके बारे में पूरी जानकारी दी जाये, जिनकी बड़ी भूमिका है.

गौरतलब है कि झारखंड की सीनियर आईएएस पूजा सिंघल को विगत मई महीने में मनरेगा से जुड़े घोटाले के जरिए मनी लॉड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था. तकरीबन आठ महीने तक जेल में रहने के बाद इन दिनों वह अंतरिम जमानत पर हैं.

अब ईडी ने जिस मनरेगा घोटाले पर रिपोर्ट मांगी है, पूजा सिंघल के मामले से इतर है. माना जा रहा है कि इस मामले में राज्य के कई आईएएस और राजनीतिक हस्तियां भी ईडी जांच के रडार पर आ सकती हैं.

Exit mobile version