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यूपी, राजस्थान, महाराष्ट्र और बंगाल कैसे मोदी का रास्ता रोककर खड़े हो गए? 5 साल में आधी हो गई भाजपा

नईदिल्ली। इस लोकसभा चुनाव के नतीजों की सबसे खास बात है कि नरेंद्र मोदी वह कमाल नहीं कर पाए जो उनकी आभामंडल में आकर लोग यूं ही मान कर चल रहे थे. कमाल तो छोड़िए 370 सीटों पर कमल खिलाने का ख्बाब बुन रही पार्टी की गठबंधन भी सांकेतिक 300 के अंक को नहीं छू पाई. अपने बलबूते तो वह बहुमत के लिए जरुरी 272 की संख्या से भी कम से 32 नीचे रह गई.

पिछले दो चुनाव में पार्टी के अपने सांसदों की संख्या 282 और 303 तक पहुंची थी जो अब घटकर 240 आ पहुंची है. अलग-अलग सिरे निकाल चुनाव का विश्लेषण चलता रहेगा लेकिन सीधी और साफ समझ आने वाली बात ये है कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल; इन 4 राज्यों ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अजेय मानी जा रही बीजेपी को गठबंधन की सरकार बनाने पर मजबूर कर दिया है.

5 साल में आधी हो गई भाजपा!
दरअसल, इन 4 राज्यों में लोकसभा सीटों की कुल संख्या 195 है. 2014 में इन चारों राज्यों में भाजपा अपने दम पर 121 जीती जो पिछले आम चुनाव (2019) में 127 तक पहुंच गई लेकिन 2024 का चुनाव कुछ और रहा. भाजपा इस दफा इन राज्यों में पिछले प्रदर्शन से एकदम आधे पर आ गिरी.

पार्टी इन राज्यों में केवल 68 सीट जीतने में कामयाब रही है, जो कुल सीटों का महज 35 फीसदी है. यही बीजेपी पिछले दो चुनावों में इन 4 राज्यों की कुल सीटों का तकरीबन 60 से 65 फीसदी हिस्सा जीती थी. पिछले चुनाव में जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सीटें घटी तो वह पश्चिम बंगाल में अच्छा कर 300 के पार चली गई लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो सका.

किस तरह इन 4 राज्यों ने भाजपा खासकर उसके नेता नरेंद्र मोदी के लिए चीजें मुश्किल कर दी हैं, एक नज़र –

उत्तर प्रदेशः हाफ हो गई भाजपा, नंबर 1 सपा
“पश्चिम और उत्तर में हाफ; दक्षिण और पूर्व में साफ”, इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के नेता अक्सर भारतीय जनता पार्टी के बारे में ये जुमला इस्तेमाल करते दिखे. मोटे तौर पर यह जुमला हर जगह खरा उतरा हो या न पर उत्तर प्रदेश में करीब-करीब दुरुस्त साबित हुआ है.

पिछले आम चुनाव में सूबे की 62 सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार घटकर 32 पर आ गई है. इसका एक मतलब ये है कि भाजपा तकरीबन आधी सीटें हार गई है. सबसे बड़ा फायदा समाजवादी पार्टी को हुआ है. वह सूबे में नंबर 1 पार्टी बनकर 37 के आंकड़े पर पहुंच गई है.

महाराष्ट्रः BJP दहाई का भी आंकड़ा नहीं छू पाई
उत्तर प्रदेश के बाद जो राज्य सबसे अधिक सांसद दिल्ली भेजता है, वह महाराष्ट्र (48 सीट) ही है. यहां तीन पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही भाजपा को करारा झटका लगा है. बीजेपी ने 28 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. पार्टी के केवल एक तिहाई कैंडिडेट जीत पाए हैं.

पिछले दो चुनावों से लगातार 23 सीट जीत रही भाजपा इस बार दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाई है. महाराष्ट्र में बीजेपी के नुकसान का सबसे बड़ा फायदा कांग्रेस को हुआ है. 1 सीट से कांग्रेस 13 पर पहुंच गई है. लोग हैरत में हैं कि केवल 17 सीटों पर चुनाव लड़कर भी कांग्रेस ने ये कमाल कैसे कर दिया?

बंगालः मोदी हर दूसरी सीट पर खुद गए लेकिन…
भारतीय जनता पार्टी को शायद इस चुनाव में जिस एक राज्य से सबसे अधिक उम्मीद थी, वह पश्चिम बंगाल ही था. पिछले चुनावों में उत्तर और पश्चिम भारत में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली भाजपा इस बार उसको दोहराने की स्थिति में नहीं थी. वह पूरब और दक्षिण भारत के राज्यों में कुछ कमाल करना चाहती थी.

दक्षिण में उसकी लाज कर्नाटक और तेलंगाना ने जरुर रख ली जबकि पूरब में उड़ीसा, झारखंड में एक बड़ी ताकत के तौर पर बीजेपी का उभरना काबिल-ए-तारीफ था लेकिन पश्चिम बंगाल में पार्टी का प्रदर्शन उन्हीं के नेताओं की नजर से अगर देखें तो बेहद निराशाजनक रहा.

निराशाजनक इसलिए क्योंकि नरेंद मोदी ने इस चुनावी साल में जिन राज्यों में सबसे ज्यादा जोर लगाया, वह पश्चिम बंगाल था. उन्होंने यहां हर दूसरी सीट पर एक रैली की. उत्तर प्रदेश की तुलना में सीटों की संख्या आधी होते हुए भी बराबर की संख्या में रैली कर मोदी ने दावा किया कि भाजपा सबसे अच्छा प्रदर्शन इस बार पश्चिम बंगाल ही में करेगी.

पर ऐसा नहीं हुआ. कम से कम 30 सीट जीतने की जुगत भिड़ाने वाली भाजपा 12 पर सिमट आई है. यह उसके पिछले प्रदर्शन से 6 कम है.

राजस्थानः क्लीन स्वीप से बहुत दूर रह गई BJP
अभी दिसंबर ही में हुए विधानसभा चुनाव में बहुमत की सरकार बनाने वाली पार्टी इस बात से आश्वस्त थी कि वह फिर एक बार सूबे में क्लीन स्वीप कर देगी, लेकिन राजस्थान ने तो जैसे चौंका दिया.

2014 में 25 की 25, 2019 में 1 कम 24 सीट जीतने वाली नरेंद्र मोदी की बीजेपी को इस बार केवल 14 सीट से संतोष करना पड़ा है. कांग्रेस की अगुवाई वाली इंडिया गठबंधन ने 11 सीट पर जीत के साथ इस मिथक को तोड़ दिया है कि बीजेपी -कांग्रेस में सीधा मुकाबला अगर हो तो कांग्रेस बीजेपी को हरा नहीं सकती.

भाजपा के इन राज्यों में खराब प्रदर्शन के बाद यह भी ध्यान रहे कि पार्टी अब भी सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी है और एनडीए को तीसरी दफा बहुमत मिला है. लेकिन क्या भाजपा इस बार उतनी आसानी से सरकार बना ले जाएगी? कहना कठिन है.

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